मद्भक्ता यत्र गायन्ति तत्र तिष्ठामि नारद ॥
अर्थ : परमेश्वराने भक्तीचा महिमा सांगितला आहे.
(श्रीकृष्ण म्हणतात) हे नारदा, मी वैकुंठात (देखील) नसतो, योगाचरण करणाऱ्याच्या कडे (सुद्धा) नाही, सूर्यावर नाही,(पण) माझे भक्त जिथे (नाम) गायन करतात तिथे मी उभा राहतो.
अर्थ हिन्दी :
श्रीकृष्ण, नारद मुनि से कहते हैं कि मैं न तो अपने वैकुंठ (निवास स्थान) में रहता हूँ और न ही योगियों के हृदय में रहता हूँ, बल्कि मैं तो वहीं निवास करता हूँ जहाँ मेरे भक्त मेरे नाम का कीर्तन (गायन या गुणगान) करते हैं।
Meaning in English :
(Lord Krishna says) "O' Narada, I do not reside in Vaikuntha, nor in the heart of the yogis, nor on the sun, but I stand wherever my devotees sing (my name).
