भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाण भारती।
तस्यां हि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम्॥

Thursday, October 16, 2025

१४२९. नानाशास्त्रविदो लोका नानादैवतपूजका:।

आत्मज्ञानं विना पार्थ सर्वकर्म निरर्थकम्॥


अर्थ :

माणसं वेगवेगळ्या विद्यांमध्ये कौशल्य मिळवतात, निरनिराळ्या देवतांची पूजा करतात. (पण) , हे अर्जुना,  आत्मज्ञाना शिवाय या कुठल्याही गोष्टीचा (मोक्षप्राप्ती साठी) उपयोग नाही.


हिंदी अनुवाद : 

"मनुष्य विभिन्न विद्याओं में निपुणता प्राप्त करता है और अलग-अलग देवताओं की पूजा करता है, परंतु हे अर्जुन, आत्मज्ञान के बिना इन में से किसी का भी (मोक्ष प्राप्ति के लिए) कोई उपयोग नहीं है।"


English translation:
"People attain mastery in different sciences and worship various deities, but O Arjuna, without self-knowledge, none of these lead to Moksha [Liberation]."

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