१४३३. बद्धो मुक्त इति व्याख्या गुणतो मे न वस्तुतः।
गुणस्य मायामूलत्वान्न मे मोक्षो न बन्धनम् ॥
अर्थ:
अद्वैत वेदान्ताचे सर्व तत्वज्ञान या एकाच श्लोकात सांगत आहेत.
(त्रि) गुणांच्या अस्तित्वामुळे आत्म्याचे वर्णन (जन्म मरणाच्या साखळीतून) मुक्त -सुटका झालेला. किंवा बद्ध - अडकलेला असे केले आहे. हे (त्रिकालाबाधित) सत्य नाही. गुण हे मायेची निर्मिती असल्याने खरं तर (आत्म्याला) बन्ध हि नाही आणि मोक्षप्राप्ती सुद्धा नाही.
Hindi:
अद्वैत वेदान्त का सम्पूर्ण तत्वज्ञान इस एक ही श्लोक में बताया गया है।
तीनों गुणों (सत्व, रज, तम) के अस्तित्व के कारण आत्मा का वर्णन कभी मुक्त (जन्म-मरण के बंधन से छूटा हुआ) और कभी बंध (बंधन में पड़ा हुआ) ऐसा किया गया है।
लेकिन यह सत्य नहीं है, क्योंकि गुण माया की उत्पत्ति हैं। इसलिए वास्तव में आत्मा को न तो कोई बंधन है और न ही कोई मोक्ष प्राप्ति।
English:
The entire philosophy of Advaita Vedanta is expressed in this single verse.
Due to the existence of the three qualities (sattva, rajas, and tamas), the Self is described as either liberated (freed from the cycle of birth and death) or bound (caught in it).
However, this is not the ultimate truth, because the qualities themselves are creations of Maya. Hence, in reality, the Self is neither bound nor liberated.
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