भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाण भारती।
तस्यां हि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम्॥

Friday, March 26, 2010

५. माता मित्रम्‌ पिता चेति स्वभावात्‌ त्रितयम्‌ हितम्‌ |

५. माता मित्रम्‌ पिता चेति स्वभावात्‌ त्रितयम्‌ हितम्‌ |
कार्यकारणतश्चान्ये भवन्ति हितबुद्धय:||

अर्थ

निसर्गत: आई, वडील आणि मित्र हे त्रिकूट  [आपल्याला ] कल्याणकारक असते ते आपल्या हितासाठी झटत असतात इतर सगळेजण काही निमित्ताने आपल्या हिताची इच्छा करतात. [त्यांचा स्वत:च्या फायदा तोट्याचा विचार करून सल्ला देतात.]

Hindi:
स्वाभाविक रूप से, माता-पिता और मित्र — यह त्रयी हमारे लिए कल्याणकारी होती है। वे हमारे हित के लिए प्रयासरत रहते हैं। बाकी सभी लोग किसी न किसी कारण से हमारे भले की इच्छा करते हैं, लेकिन वे अपने स्वयं के लाभ और हानि को ध्यान में रखकर सलाह देते हैं।

English:
By nature, the trio of mother, father, and friends is beneficial to us. They strive for our well-being. Everyone else may wish us well for some reason, but they offer advice considering their own profit and loss.

No comments: