भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाण भारती।
तस्यां हि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम्॥

Saturday, March 27, 2010

६. माता पिता गुरुश्चेति त्रयो वन्द्या नृणां सदा।

६. माता पिता गुरुश्चेति त्रयो वन्द्या नृणां सदा।
आयुर्यशो बलं चेति त्रीण्याप्नोति तदाशिषा॥

अर्थ

माणसांनी नेहमी आई, वडील आणि शिक्षक [गुरु ] यांना नमस्कार केला पाहीजे त्यांच्या आशीर्वादाने दीर्घ आयुष्य, कीर्ति आणि ताकद मिळते.

Hindi translation:


"मनुष्यों को हमेशा अपनी माता, पिता और गुरु को नमस्कार करना चाहिए। उनके आशीर्वाद से दीर्घायु, कीर्ति और शक्ति प्राप्त होती है।"

English translation:

"One must always bow to their mother, father, and teacher. With their blessings, one attains long life, fame, and strength."

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