भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाण भारती।
तस्यां हि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम्॥

Monday, March 22, 2010

१. न चोरहार्यं न च राजहार्यम् न भ्रातृभाज्यम् न च भारकारी ।

१. न चोरहार्यम् न च राजहार्यम् न भ्रातृभाज्यम् न च भारकारी ।
व्यये कृते वर्धत एव नित्यम् विद्याधनं सर्वधनप्रधानम् ||

अर्थ


विद्यारूपी धन हे सर्व प्रकारच्या संपत्तीमध्ये श्रेष्ठ प्रकारची संपत्ती आहे. [कारण] चोर ती पळवू शकत नाही, राजा कर वगैरे रीतींनी घेऊ शकत नाही. तिची भावांमध्ये वाटणी होऊ शकत नाही. तिचे ओझे होत नाही. ती खर्च केली [दुस-याला दिली, शिकवलं] तर वाढते.

Hindi Translation

विद्या के रूप में धन सभी प्रकार की संपत्तियों में सबसे श्रेष्ठ संपत्ति है, क्योंकि चोर इसे चुरा नहीं सकता, राजा इसे कर आदि के रूप में नहीं ले सकता। इसकी भाइयों में बाँट नहीं होती। इसका बोझ नहीं होता। इसे खर्च करने या किसी और को सिखाने से यह और बढ़ती है।  

English Translation

The wealth of knowledge is the most superior among all kinds of wealth because thieves cannot steal it, nor can a king take it away through taxes. It cannot be divided among brothers. It brings no burden, and when spent or shared with others, it only increases.  

2 comments:

sandeep said...

mitranno..changale kaam karat aahat tumhi..shaaletaly athavani jaagya zaalya..
anyway All the best..keep the gud work

मिलिंद दिवेकर said...

धन्यवाद..:)