भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाण भारती।
तस्यां हि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम्॥

Tuesday, April 6, 2010

३४. अश्वम्‌ नैव गजम्‌ नैव व्याघ्रम्‌ नैव च नैव च।

३४. अश्वम्‌ नैव गजम्‌ नैव व्याघ्रम्‌ नैव च नैव च।
अजपुत्राम्‌ बलिं दद्याद्देवो दुर्बलघातक :||

अर्थ

घोड्याचा बळी देत नाहित, हत्तीचा बळी देत नाहित, वाघाचा तर कधीच नाही. बोकड मात्र बळी जातो, [कारण] देव हा दुर्बळांचा घात करणार आहे. [ देव देखिल दुर्बळांचे रक्षण करत नाही.]

English Translation
"Horses are not sacrificed, elephants are not sacrificed, and tigers never are. Only goats are sacrificed, [because] God will harm the weak. [God also does not protect the weak.]"
Hindi Translation
"घोड़े की बलि नहीं दी जाती, हाथी की बलि नहीं दी जाती, और बाघ की तो कभी भी नहीं। केवल बकरे की ही बलि दी जाती है, [क्योंकि] भगवान कमज़ोरों का घात करेंगे। [भगवान भी कमज़ोरों की रक्षा नहीं करते हैं।]"

No comments: