भाषासु मुख्या मधुरा दिव्या गीर्वाण भारती।
तस्यां हि काव्यं मधुरं तस्मादपि सुभाषितम्॥

Monday, April 5, 2010

२५. कस्तुरी जायते कस्मात् को हन्ति करिणाम् शतम् ।

२५. कस्तुरी जायते कस्मात् को हन्ति करिणाम् शतम् ।
भीरुः करोति किं युद्धे मृगात् सिंहः पलायते ॥

अर्थ

कस्तुरी कोणापासून मिळते (हरणापासून)? शंभर हत्तींना कोण मारतो (सिंह)? भित्रा युद्धामधे काय करतो (पळून जातो)? हरिणापासून सिंह पळून जातो.

टीप :-
समस्या प्रकारचा हा श्लोक आहे राजदरबारामध्ये कवीना चौथा चरण देऊन श्लोक रचणे अशी एक प्रकारे परीक्षा होती. हरीण सिंहाला पळवून लावते हे वाक्य अर्थपूर्ण करण्यासाठी पहिले तीन योग्य असे चरण कवीने रचले आहेत.

Hindi translation:

कस्तूरी किससे मिलती है? (हरिण से)।
सौ हाथियों को कौन मारता है? (सिंह)।
भयभीत व्यक्ति युद्ध में क्या करता है? (भाग जाता है)।
क्या सिंह हरिण से भागता है?

यह एक पहेली प्रकार का श्लोक है। राजदरबार में कवियों की परीक्षा इस प्रकार होती थी कि उन्हें श्लोक का चौथा चरण दिया जाता था और शेष तीन चरणों की रचना करनी होती थी।
"हरिण सिंह को भगा देता है" — इस वाक्य को अर्थपूर्ण बनाने के लिए कवि ने पहले तीन उचित चरणों की रचना की है।

English translation:

From whom is musk obtained? (From a deer).
Who can kill a hundred elephants? (A lion).
What does a coward do in battle? (He runs away).
Does the lion run away from the deer?

This verse is of a riddle-like type. In the royal court, poets were often tested by being given the fourth line of a verse, and they had to compose the first three lines to make it complete.
To give meaning to the line “The deer makes the lion flee,” the poet composed the first three appropriate lines.

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